मनीष कश्यप अब आयेंगे जेल से बाहर | जाने कैसे छूटेंगे जेल से?

 मनीष कश्यप ऊर्फ त्रिपुरारी कुमार तिवारी जिसने सबसे पहले इस झूठी खबर का प्रसार किया कि, तमिलनाडु में बिहार के मजदूरों को मारा-पीटा जा रहा है। जब इसकी जांच हुई तो पता चला कि, ये दो लोगों को पैसे की लालच देकर उनके चेहरे पर मरहम पट्टी तथा कुछ अन्य दवाएं लगाकर घायल दिखाते हुए एक वीडियो बिहार में बनाया। उसमें दोनों युवक अपने को तमिलनाडु में काम करने वाले मजदूर बताते हैं और ये दावा करते हैं कि, उन्हें तमिलनाडु में बिहार का मजदूर और हिंदी भाषी होने के नाते मारा पीटा गया है।



इस फेक वीडियो को तमिलनाडु का बताकर इसने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन और बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की छवि को ख़राब करने की कोशिश की। इस देशद्रोही ने भारत के दो प्रांतों बिहार और तमिलनाडु के संबंधों में दरार डालने का प्रयास किया।


इसके फेकन्यूज से ऊर्जा ग्रहण किये बिहार भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल व संघ और भाजपा की मीडिया व उसके दरबारी पत्रकारों ने बिना इसकी जांच किये। इस झूठ को खूब प्रचारित किया। जिससे बिहार और तमिलनाडु की पुलिस हरकत में आई और जांच कर यह पाया कि इन दरबारियों ने झूठ फैलाया है।बिहार और तमिलनाडु की पुलिस ने समाचारपत्र 'दैनिक भास्कर', दक्षिणपंथी वेबसाइट 'ओप इण्डिया ', और मनीष कश्यप जैसे झूठबाजों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया।


मनीष कश्यप जो अपने को 'सन ऑफ बिहार' कहता है. अब उसके झूठ का पर्दाफाश होने पर लोग उसे 'बवासीर ऑफ बिहार' कहने लगे। मनीष ने अपने जिस ट्विटर अकाउंट से फेकन्यूज फैलाया था उसे उसने डिलीट कर दिया।


ये 'बिमारी ऑफ बिहार' नामक चरणचंपू अपने को बचाने के लिए 'ठग्स ऑफ हिंदूस्तान' बागेश्वर धाम सरकार की चरण वंदना करने पहुंचा। ताकी बाबा के राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल कर ये अपने को बचा सके। लेकिन बाबा का रसूख इसके काम नहीं आया और ये जेल में योगासन कर रहा है। इन जातिवादी ढोंगियों को फेसबुक और यूट्यूब पर देखना सुनना बंद कर दीजिए।

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